०४.०३.२०१४

सादर प्रेम और आदर भाव के साथ हम लौकिक साईं बाबा का आह्वान करते हैं |

“ मैं यहाँ हूँ, और यहाँ बहुत प्रसन्न हूँ | और यह जानकार कि आप मेरा आदर सामान करते हैं | आपसे बात करके और आपके सवालों के जवाब देकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता होती है … … लेकिन आज मैं उन प्रश्नों को आमंत्रित नहीं करूँगा|

मैं आपको सिर्फ आश्वस्त करना चाहता हूँ … जैसा कि मैंने पहले भी किया है … … इससे पहले वाले सत्रों में – कि दुनिया बदल रही है – आप स्वयं उसे देख, अनुभव और पहचान सकते हैं|

और जो भी बदल रहा है यह निस्सन्देह परमार्थक राज्य का आदेशपत्र है, लेकिन – इसे ख़ास जगह बनाना संभव है; यह प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वे इसे स्वयं कैसा बनाना चाहते हैं |

यहाँ आज सुबह जादू के बारे में बातें हो रही थीं! कि वह सब सृजन का एक भाग है … चाल भी हो सकती है … … लेकिन मैं उम्मीद करता हूँ आप सब को, पृथ्वी पर आये हम जैसे लोग – अवतारों – की समझ हो गयी होगी – ये विशेष लोग हैं, जो पृथ्वी पर मानव की चेतना जागृत करने आये हैं, उन्हें यह दिखाने कि वे केवल स्वयं के विश्वास के द्वारा ही सीमित हैं| और यदि वे अपने मन को (या फिर मष्तिष्क) अपने भीतर सदैव विराजमान चैतन्य वास्तविकता से अभिज्ञ रखें – चाहे वे एक भौतिक शरीर में हों या न हों|

यही रहस्य है; यह वह जगह है, जहाँ आविर्भाव हो सकते हैं | जहाँ कोई सीमा नहीं है … … यह अभिलिखित किया गया, जब मैं यहाँ पहले था (भौतिक शरीर में), मेरे आश्रम में आये कई आगंतुकों के लिए भोजन चाहिए था और सब को यह जादू जैसा लग रहा था … … आप उसे एक चाल भी कह सकते हैं … … परंतु वह भोजन आया कहाँ से?

आपको फिर से सोचना व महसूस करना चाहिए कि यह कोई चाल नहीं है … यह एक क्षमता थी जिस से मैंने कई सारे रूप ढाले … और अधिक रचना की … इसकी कोई सीमा नहीं थी|

मैं दुनिया को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन बना सकता था!!!

लेकिन इस धरती पर आप सीमाओं के साथ रहते हैं … … आपके पास ‘सारी सृष्टि के स्रोत का दिया हुआ एक उपहार है ‘| इच्छाशक्ति का एक उपहार – आपकी इच्छाशक्ति का ! आप निर्णय लेते हैं !

इस पृथ्वी पर आप अपने जीवन में होने वाली हर एक प्रसंग व चलने वाले हर एक पथ का स्वयं निर्णय लेते हैं … तो मैं उसमें दखल नहीं दे सकता हूँ … हालांकि कई बार मेरा जी तो चाहता है … … लेकिन इस से पृथ्वी पर मानवता को कोई लाभ नहीं होगा|

उन सब को यह समझने की आवश्यकता है कि वे वास्तव में कौन हैं … और यह कि कोई सीमा नहीं है …. जब तक वे यह न सोचें कि है| आप अपनी सीमाओं से बहार निकलें और यह मानें कि आप पर्वतों को भी हिला सकते हैं यदि आप चाहें तो | जब मैं यहाँ इस पृथ्वी पर था, मैंने मौसम के स्वरुप को बदल दिया था; मैंने कमरों के आकार भी बदले थे | मैं आपको सिर्फ यह दिखाने की कोशिश कर रहा था कि कोई सीमा नहीं है और सब कुछ बदलना संभव था … … स्थितियों को परिवर्तित करना जिससे वास्तव में सभी लाभान्वित हों|

तो, यदि इस धरती पर हर कोई इसे करने के लिए ठान ले, वे इस धरती पर हर एक को भोजन खिला सकते हैं – किसी भी व्यक्ति को कभी भी भूखमरी का सामना नहीं करना पड़ेगा | जो अभी भी इस धरती पर हो रहा है और मैं इस धरती पर मानवता से कहना चाहूंगा कि वे गंभीरता से इस के बारे में सोचें कि वे इस गृह पर क्या घटित होने की अनुमति दे रहे हैं |

यह ग्रह स्वयं … … माँ है … … वह धरती पर, अपनी कर्तव्य बाध्यता से भी अधिक बढ़ कर हर एक चीज़ को प्रकट करती है – वह उत्पादन करती है, पोषित करती है; और बहुत से लोग भोजन करते समय उसका धन्यवाद करते हैं … तो जब वह सब की भलाई के लिए काम कर रही है और जो परलोक में बैठे समझदार लोग मतभेद को सुलझाने के लिए लड़ाई करने अथवा हथियार उठाने की कोई वजह नहीं देखते हैं – तो निश्चित रूप से मानव इस पृथ्वी पर चीजों को बहुत आसानी से बदलने के लिए सोचना शुरू कर सकता है – यदि वे अपने सोचने का ढंग बदल सकें और एक दुसरे के बारे में सोचें, और एक दुसरे की देखभाल करें … …

और सार्वभौमिक प्रेम ब्रह्मांड में विद्यमान है – आप उसकी ऊर्जा को ग्रहण करें – उसे आपके माध्यम से अपने चारों ओर और मनुष्यों में प्रवाह होने दें…और वह ऊर्जा स्वतः आपके आसपास घुमते हुए बुरे विचारों को – जो मानवता के हित में नहीं है – बदल देगी |

मैं आप से पूछता हूँ, वास्तव में मैं आप से विनती करता हूँ कि आप अपने विचारों पर फिर से गौर करें कि “आप इस ग्रह को कहाँ ले जा रहे हैं ? जो लोग इस पर हैं – यह सब कहाँ जा रहा है? और जो सही नहीं है उसे मैं कैसे बदल सकता हूँ?”

मैं यहाँ प्रवचन देने नहीं आया हूँ … … लेकिन यह बदलाव का समय है| भूमण्डलीय वयवस्था, आकाशगंगा, ब्रह्माण्ड, सब में बदलाव आ रहा है और पूरे ब्रह्माण्ड में विभिन्न प्रभावों के स्थान पुनः व्यवस्थित हो रहे हैं|

धरती के पास परिवर्तनों के साथ ढलने का और आकाशगंगा, ब्रह्मांड की शक्ति और प्रेम की सार्वभौमिक स्रोत से प्रवाह होने वाली सभी ऊर्जा के साथ एक हो जाने का अवसर है|

कृपया इसे स्वीकार करें … इसके बारे में सोचें; और आप समझ जायेंगे … … आपके सृजनकर्ता – परमेश्वर से आने वाले सच्चे प्रेम की भावना क्या होती है |

धन्यवाद मेरे बच्चों, धन्यवाद | और जाने से पहले, प्रेम और प्रार्थना के साथ मेरे पास भेजे गए इन पत्रों को अपने साथ ले जाना चाहूंगा| मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूँ कि बदलाव तो है … … यदि वे अपने डर को बहार निकाल दें और अपने अंतर की भावनाओं का अनुकरण करें … सब कुछ शांत हो जाएगा| सब कुछ वैसे हो जाएगा – जैसा होना चाहिए था – एक के रूप में|

परमेश्वर आपको आशीर्वाद दें मेरे बच्चों, परमेश्वर आपको आशीर्वाद दें

मैं, परमेश्वर आपको आशीर्वाद देता हूँ|


आप लौकिक साई बाबा का प्रसारण यहाँ सुन सकते हैं:
 

 
यह एक 8.3 एमबी की एमपी ३ फाइल है, बजाने का समय 8.41′ है

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