१३ दिसंबर २०१६

वैलेरी: : हम लौकिक साई बाबा का असीम प्रेम व आदर के साथ अहवान करते हैं – आज मंगलवार १३ दिसंबर २०१६ है|

❝मैं, लौकिक साई बाबा हूँ, और मैं यहाँ आ कर बहुत प्रसन्न हूँ – मैं यहाँ कुछ समय से हूँ और मैं सब को यह बताना चाहता हूँ कि मुझे अति प्रसन्नता हो रही है कि आप मुझ से, सब के सृजन के स्रोत के साथ, संयुक्त हो गए हैं – क्योंकि यहीं से आप आते हैं और यहीं के आप मूलतः निवासी हैं|

तो यदि आपके मन में, अपने घर वापिस लौट जाने जैसा कोई विचार या भावना उत्पन्न होती है – तो वह घर यही जगह है|

किन्तु आपको अपना भौतिक शरीर छोड़ने की कोई ज़रूरत नहीं है –पृथ्वी गृह पर, यह आपकी यात्रा का एक हिस्सा है| पृथ्वी गृह एक पाठशाला की तरह से है, पर, यह असल में उससे कुछ अधिक ही है| यह लोगों को, एक दूसरे को समझने में मदद कर रही है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कौन हैं और कहाँ से आए हैं|

और सारी छवियाँ एक जैसे नहीं होती हैं – बेशक पृथ्वी गृह पर हर एक प्राणी एक दूसरे से भिन्न है- मेरा तात्पर्य मानव जाति से है – किसी के चेहरे का रंग गाढ़ा है, किसी का हल्का और यही धारणा देता है कि आप एक दूसरे से भिन्न हैं|

परंतु आप हैं नहीं|

आप एक मानव शरीर में हैं जो बिलकुल एक जैसा है – आप सब एक ही जाति के हैं!

आप सभी भौतिक शरीर में एक ही तरीके से काम करते हैं| किन्तु दूसरी दुनियाओं में और बहुत सारी प्रजातियाँ हैं – और मैं इस विषय पर आपको पहले भी बता चुका हूँ; और इन सबकी छवियाँ ज़रूरी नहीं एक जैसी हो|

तो मैं आपसे यही कह रहा हूँ – यह महत्वपूर्ण है कि आप को इस बात का एहसास हो और इसको स्वीकारें कि उन छवियों में कोई अंतर नहीं है – दूसरी दुनियाओं में रह रही अलग अलग प्रजातियाँ की भौतिकता में कोई अंतर नहीं है – क्योंकि वे सब हम सब के सृजन के स्रोत से आती हैं|

आप जिसे परमात्मा कहते हैं – वह एक शक्ति है और सारे दैवी शक्तियाँ उसी स्रोत से सृजन करती हैं| और यही तो आप भी हैं| और इसी कारणवश आप यहाँ पर आए हुए हैं|

जैसा कि मैं कहता हूँ कि यह (यह गृह) पाठशाला की तरह से है, किन्तु यह वास्तविकता में एक हँसता-खेलता परिवार है – यह ठीक वैसा ही है जैसे आपको यह पता लग जाना कि आप कौन हैं – कहाँ से आए हैं – दूसरी दुनियाओं से – और अब इस भौतिक शरीर में आप कौन हैं|

मैं पहले ही आपको बता चुका हूँ कि आप सभी एक दूसरे से बहुत भिन्न हैं – आपके गृह पर कोई भी दो व्यक्ति एक जैसे नहीं हैं| कुछ लोगों के बीच शायद बहुत सारी समानतायेँ हैं – या उससे भी अधिक| किन्तु…..

पृथ्वी पर इस समय संघबद्वता हो रही है, जो – आपके वायुमण्डल से निस्पंदन हो कर दूसरी दुनियाओं में भी फैल रहा है| तो यह एक पाठशाला की तरह है – यह वास्तव में, संघबद्वता होने में और एक दूसरे को समझने के – विकास में मदद कर रही है|

स्रोत को परमात्मा समझने में कुछ पेचीदगी सी प्रतीत होती है – क्योंकि हर एक की समझ एक दूसरे से भिन्न है| किन्तु मैं आपको आश्वासन दे सकता हूँ कि ऐसा है नहीं| सब एक ही चीज़ है| सब के सृजन का स्रोत, परमात्मा ही हैं|

और परमात्मा तो एक हैं – इस में कोई विभाजन नहीं है|

मैंने, भौतिक शरीरों को ही अलग होने की बात कही है, परंतु मानव और परगृही व्यक्तित्व जैसे कुछ है नहीं| आप गर्म रक्तयुक्त हैं| आपके पास भाव हैं| कुछ औरों के पास बुद्धिमत्ता हैं, और वे अपना जीवन, अपने विचार, अपना चैतन्य दूसरों की मदद करने में लगा देते हैं| मैं आप को याद दिलाना चाहूँगा कि बहुत सारे लोग बुद्धिमान हैं क्योंकि वे जानते हैं और सरलता से समझ जाते हैं कि कहीं पर भी कोई भी भेद नहीं है|

जीवन के, हर एक प्रकार के आकार के पास चैतन्य है- और उसके लिए श्रद्धास्पद होना चाहिए| तो मैं यह कहना चाहूँगा कि “उसका सम्मान करो” परंतु शायद इस शब्द का बार-बार दुरुपयोग हुआ है – तो आदर करिए और एक दूसरे की परवाह करिए, परवाह करना, हमेशा प्रेम के साथ साथ आता है, जो सब के सृजन का स्रोत है|

कोई विभाजन नहीं है – कृप्या इसे समझें| इस पर विचार करें| और कभी भी, हल ढूंढने के वास्ते, हथियार उठाने जैसा कोई भी कुविचार अपने मन में न लाएँ| यह किसी भी चीज़ का समाधान नहीं है|

यह प्रेम की ऊर्जा है और जब मैं प्रेम के बारे में बात करता हूँ – यह सिर्फ कामुक भरा प्रेम नहीं है जो पृथ्वी गृह पर पाया जाता है|

यह वो प्रेम है जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचता|

यह वो प्रेम है जो एक दूसरे को एक साथ जोड़ता है और सब का आदर करता है|

यह वो प्रेम है जो परिवारों में विद्यमान है और इन परिवारों को एक साथ, द्रवणशीलता का अनुभव करने के लिए लाया गया है – एक दूसरे की परवाह करने के लिए – यह वह पुष्टिकारक ऊर्जा है, जो सब के स्रोत से आती है|

मेरे प्यारों, अब मैं जाना चाहूँगा, और मुझे यहाँ पर बुलाने के लिए आप को धन्यवाद देता हूँ| यहाँ पर बिताया हुआ हर पल मुझे अच्छा लगता है| मुझे यहाँ पर बुलाने के लिए मैं फिर से धन्यवाद देता हूँ|

मैं, परमात्मा, आपको आशीर्वाद देता हूँ| मैं आप सब से बहुत प्रेम करता हूँ| परमात्मा आपको आशीर्वाद दें|❞


लौकिक साई बाबा का संचरण आप यहाँ सुन सकते हैं
(संचरण के दौरान, हवा से फड़फड़ाते हुए पर्दों की आती हुई पीछे से आवाज़ के लिए, मैं क्षमाप्रार्थी हूँ – वह आवाज़ हटाई नहीं जा पायी)