७ अप्रैल २०१५

वैलेरी: आज ७ अप्रैल (मंगलवार) है और हम मोण्टिनक , फ्रांस (अंगौउलेमे के निकट) से बात कर रहे हैं| हम लौकिक साईं बाबा को आज का सन्देश देने के लिए आह्वान करते हैं|

और हम उनका स्वागत करते हैं|

❝मैं यहाँ हूँ! मैं यहाँ हूँ, मेरे प्यारों और आप सब के बीच आकर बहुत प्रसन्न हूँ| वास्तव में बहुत प्रसन्न!

मैं जानता हूँ आज ढेर सारी बातें हुई हैं – और मैं सब सुन रहा था – क्योंकि मैं भी यहाँ पर उपस्थित था| मैं यहाँ आकर सब को सुनने के सुअवसर का स्वागत करता हूँ; जिसकी वजह से मुझे लोगों के सोचने के ढंग से बहुत कुछ सीखने को मिलता है!

लोगों के मन पढ़ना संभव है| और मैं नहीं चाहुंगा कि आप उस विषय को हलके में लें | किन्तु एक तरीका है जो सब के स्रोत से सम्बंधित है और लोगों की सोच से अवगत कराता है, उसकी कोई धारणा न बनाते हुए – पृथ्वी वासियों की मदद करें| उनकी…जिन्हे समय-समय पर सहायता की आवश्यकता है – और मुझे उम्मीद है आप मुझ से इस बात पर सहमत होंगे|

कभी कभी यह समझना बहुत मुश्किल होता है कि किस विषय पर बात किया जाए| वैलेरी इन्हीं सब विषयों पर बातें कर रहीं थीं और वे आप सब लोगों की ही तरह पृथ्वी की अवस्था पर चिंतन व्यक्त कर रहीं थीं| यह मैं यह पहले ही बता चुका हूँ कि इस समय पृथ्वी के लोगों पर बहुत ही बड़ी विपदा आई हुई है|

किन्तु यदि आप इस का संक्षिप्त विवरण देखें, आपको समझ में आ जायेगा कि बहुत कुछ चीज़ो में हमें सफलता प्राप्त हुई है| पृथ्वी वासियों की सोच से बहुत परे| दूसरे शब्दों में कहें तो यह सहजता से नहीं सोचा जा सकता कि एक बात को सिद्ध करने के लिए, या फिर ऊर्जा में बदलाव लाने के लिए सैकड़ों लोग एक साथ जान दे रहे हैं परन्तु दुर्भाग्यवश, यही इस समय की मांग है| इसी कारण बहुत सारी आत्माएं यहाँ पर आ कर अपनी स्वेछा से पृथ्वी को इस समय में छोड़ने का प्रण लिया है ताकि चेतना का उत्थान हो सके| क्योंकि – यह समय, आप जिस तरीके से जानते हैं- ईस्टर का समय है – और आपके प्रिये जीसस ने भी यही किया|

बस यही है सब कुछ उसके बारे में|

यह चेतना की उत्थान के बारे में है|

और जो आत्माएं पृथ्वी वासियों की मदद करना चाहती हैं, वे वापस आ सकती हैं – दूसरे शरीर में – शायद दूसरा व्यक्तित्व लेकर, जीवन को जीने के ढंग का दूसरा समझौता लेकर| और यह ऐसा ही चलता रहेगा| और यही दृश्य है| पृथ्वी-जाती में लगातार बदलाव आता जा रहा है|

और हम भी, अपने तरीके से बदलाव लाने में सहायता कर रहे हैं ताकि पृथ्वी पर लोगों को यह समझ आ सके कि सच्ची शान्ति क्या होती है, और उसे कैसे बनाये रखना है|

मैं आज यहाँ प्रवचन देने नहीं आया हूँ| वास्तव में मैं कभी भी प्रवचन देना नहीं चाहता| यह मैं अपने व उन लोगों के अवलोकन से कह रहा हूँ जो मेरे साथ प्रकाश की दुनिया में कार्य करते हैं| हमें “देवता” शब्द से उल्लिखित किया गया है| वास्तव में हम यह नहीं हैं – यदि आप हमें “सृजनकर्ता” समझें – हालाँकि हम ऊर्जा का इस्तेमाल करके सृजन अवश्य ही करते हैं! परन्तु यह सब अनुमति के साथ होता है|

और मैं चाहूंगा कि आप इस बात को समझें| जो कुछ भी होता है – स्रोत से अनुमति मिलना पर होता है – यह इसी तरह से होना चाहिए| इसे स्रोत से आशीर्वाद प्राप्त है| परमेश्वर का स्रोत – जो सृजनकर्ता है|

और मैं परमेश्वर शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूँ!

कुछ लोग इस बात से प्रसन्न नहीं हैं क्योंकि परमेश्वर के नाम पर इतना सब कुछ हो रहा है, जिसका परमेश्वर से कोई लेना देना नहीं है|

क्योंकि परमेश्वर प्रेम है| सर्वव्यापी प्रेम| मैं चाहूंगा कि आप इसे याद रखें| और सभी चीज़ें इसी से प्रवाह होतीं हैं|

प्रेम! सर्वव्यापी प्रेम – जो एक दुसरे की देखभाल करता है; एक दूसरे के प्रति कृपालु होता है; और मदद करता है – अगर आप कर सकते हैं – पृथ्वी पर बद्लाव लाने में मदद कर सकते हैं। (जिस्की इस समय में अधिक अव्श्यक्ता है)

ऐसे बहुत सारे हैं जो अपनी स्वेछा से शरीर में आना चाहते हैं- आत्माओं की अदला बदली कर के-और इस विषय पर पहले भी बातें हुई हैं| क्योंकि जब वे आते हैं, वे ज्ञान व जानकारी के साथ आते हैं; उनके पास पृथ्वी पर ऊर्जा को बदलने का सामर्थ्य भी होता है – जैसे ऊर्जाओं का स्वरुप इस तरह बदल देना जिसकी आवश्यकता न हो- और आगे की ओर अग्रसर होना उन बदलावों के साथ – जो सूर्यों के वातावरण, सूर्य-तत्व में हो रहे हैं- पृथ्वी गृह अपने सौरमंडल के साथ आगे बढ़ रहा है, जैसे बाकी सौरमंडल सारे सृजन के स्रोत के साथ जुड़ रहे हैं|

तो मैं चाहूंगा कि आप उसके बारे में सोचें, यदि आप चाहें|

मैं अपना आशीर्वाद व प्रेम आप सब को भेज रहा हूँ; उन सब को जो मेरे शब्दों को पढ़ रहे हैं, और मैं उम्मीद करता हूँ वे उस प्रेम की शक्ति का अनुभव करेंगे जो सब के स्रोत से आती है और मेरे भीतर मुक्त भाव के साथ पूरी तरह से बह रही है और मैं कामना करता हूँ कि यह उसी प्रकार आप के भीतर भी बहे|


मैं, परमात्मा आपको आशीर्वाद देता हूँ”|


लौकिक साईं बाबा से प्राप्त इस प्रसारण को यहाँ सुन सकते हैं: