०३.०३.२०१५

बहुत आदर और प्रेम के साथ हम लौकिक साईं बाबा का आह्वान करते हैं|
इस समय, हम फ्रांस में स्थित मोण्टिनक (अंगौउलेमे) के एक कमरे में बैठे हैं| और हम, हमारे बीच उपस्थित लौकिक साईं बाबा का स्वागत करते हैं||


“मैं यहाँ हूँ! और मैं यहाँ बहुत प्रसन्न हूँ…मैं इस समय का बहुत समय से प्रतीक्षा कर रहा था|

जॉन और वैलेरी के साथ फ्रांस के भ्रमण के दौरान कुछ ऐसा हो रहा है, कि वहां उनका स्वागत खुले मन से हो रहा है और उनके हर काम शान्ति से हो रहे हैं | किन्तु अभी के लिए मैं अपना नियमित सन्देश देना चाहूंगा और यह कहना चाहूंगा कि मैं इस बात से अति प्रसन्न हूँ कि मुझे यहाँ बुलाया गया और एक गोष्टी भी आयोजित की गयी क्योंकि ऐसे मौकों पर मुझे अपने इर्द गिर्द कुछ लोगों का रहना अच्छा लगता है|

इस कमरे में उपस्थित लड़कियां ध्यान लगाना सीख रही हैं|

‘ध्यान’ शब्द को कई बार गलत समझा गया है| और आज मैं इसी विषय पर बात करना चाहूंगा| क्योंकि यह एक धर्म नहीं है, यह अपने आत्मीय-चैतन्य से जुङने का एक साधन है| कई सारे लोगों को आत्मीय-चैतन्य का एहसास नहीं है कि वह एक ऐसी चैतन्य है जो हर मनुष्य – हर प्राणी को क्षमता दे सकती है – हर पृथ्वीवासी जिसके पास एक आत्मा है – वे अपने आत्मीय-चैतन्य से जुड़ सकते हैं और ऐसा करने पर वे अपने इस दृष्टिकोण को बढ़ा पाते हैं कि वे वास्तव में कौन हैं|

और वे अपने अस्तित्व के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं|

यह कठिन नहीं है| यह बहुत ही सरल है| क्योंकि जब से उनका जन्म हुआ है तब से उनके पास आत्मीय-चैतन्य है| और जैसे-जैसे पांच तत्वों से बना शरीर बढ़ा होता जाता है …. एक नवजात शिशु से एक छोटे बच्चे और फिर एक वयस्क तक, हर बार आत्मीय-चैतन्य शरीर के बढ़ते हुए आकार से साथ समंजन कर लेती है|

एक ऐसा भी समय आता है जब वे वयस्क हो जाते हैं| माता-पिता पर निर्भर न रहकर स्वयं निर्णय लेते हैं| उसी क्षण से ही, वे अपने जीवनकाल तो ले कर चयन कर सकते हैं और पृथ्वी पर आने से पहले, अपनी आत्मा से किये गए समझोते के अनुसार वे आगे बढ़ सकते हैं|

जैसे -जैसे जीवन प्रगति करता है, उनकी आत्मा के साथ बहुत सारी चीज़ों का समझौता होता है| उनको बहुत सारी चीज़ों की अनुभूति होगी और वे कई ऐसी आत्माओं से दुबारा मिलेंगे जिन्हें वे अच्छी तरह से जानते हैं| कभी-कभार इन्हीं कुछ आत्माओं के साथ गलतफ़हमी दूर करने के अवसर प्राप्त होंगे| और कभी उन आत्माओं के साथ, जिन्हें वे अच्छी तरह से जानते हैं आनंदोल्लास और दिव्य ऊर्जाओं का उत्थान होगा और पृथ्वी पर उनकी यात्रा में सहायता करने आये हैं|

संभवत: उनके पास एक दूसरे के साथ काम करने का अवसर होगा| यह निर्भर करता है| आज मैं यहाँ उपदेश देने नहीं आया हूँ| मैं बस लोगों को “ध्यान” करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूँ , और यह बताना चाहता हूँ कि मैं जिस ज्ञान के बारे में कह रहा हूँ वह वास्तविक है और अब अपने अंतर-मन से जुङने का तरीका सीखना उनके लिए संभव होगा और वहां से वे आगे की ओर अग्रसर हो सकते हैं|

यह एक नयी सीमान्त है – यह ज्ञान और स्वयं के भीतर पर्यवेक्षण करने की नयी सीमान्त है| क्योंकि सारे जवाब उसी स्थान पर विद्यमान हैं| मैं चाहूंगा कि लोग उस स्थान की पर्यवेक्षण करें|

तो आज मैं अपने इस सन्देश को बहुत लम्बा नहीं बनाना चाहूंगा; परन्तु जैसा कि मैंने पहले कहा है – यहाँ आकर मुझे अति प्रसन्नता हो रही है| मुझे यहाँ आमंत्रित करने और आज के आयोजन के लिए, मैं आप सब को अपने हृदय से धन्यवाद देता हूँ|

मैं चाहता हूँ आप यह जानें कि जॉन और वैलेरी फ्रांस में अगले ६ महीने तक रहेंगे| मैं आप सब को निस्संदेह अपना आशीर्वाद भेजता रहूँगा| जो भी मेरे साथ समायोजित करता है, मैं उसकी मदद अवश्य करूँगा| ऐसा करने में मुझे प्रस्सनता होती है|

और अब, मैं आपसे विदा लेता हूँ और आपको अपना आशीर्वाद देता हूँ|


मैं, परमात्मा आपको आशीर्वाद देता हूँ


आप लौकिक साई बाबा का प्रसारण यहाँ सुन सकते हैं: