१ अगस्त २०१५

सब: ॐ का तीन बार जाप करते हैं |

वैलेरी: आज शनिवार, १ अगस्त है और हम सिंगापुर में स्वामी के घर पर हैं| बहुत प्रेम और आदर के साथ हम अपने बीच लौकिक साई बाबा का आह्वान करते हैं|

❝मैं यहाँ हूँ| और आप सब के बीच आकार बहुत प्रसन्न हूँ| मैं यहाँ पहले भी आया था, और आज भी आ गया हूँ| आप सब का मुझे यहाँ बुलाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद|

चूंकि वैलेरी काफी भ्रमण कर चुकी हैं और थकी हुई हैं….तो हम उसकी वजह से छूट देते हैं| मेरा ऐसा कहने का तात्पर्य यह है कि – मैं यहाँ अधिक देर तक उपस्थित नहीं रहूँगा; बल्कि उनके माध्यम से आप लोगों तक अपना संदेश पहुँचवाना चाहता हूँ, जैसे कि, कुछ समय से हर महीने करता आया हूँ|

पृथ्वी पर बहुत ज़्यादा गड़बड़ हो रही है जिसे परिशोधित करना ज़रूरी है| यह वह समय है जब लोगों की ऊर्जा अपने हृदय में मुहम्मद को संजोये हुए है| मुहम्मद एक स्नेहमई पैगंबर हैं, जिन्होने एक सुंदर धर्म दिया – जिसके बहुत से अनुयायी हैं और उसके समान ही एक और धर्म है जिसे ईसाई धर्म के नाम से जानते हैं, इसे उन्होने दिया, जिन्हे लोग लगभग २००० साल से जानते हैं|

जो संदेश सबसे पहले आए, वे दोनों प्रेम और सहभाजन के थे और एक दूसरे का ध्यान व प्रेम करने के लिए थे| यद्यपि लोगों को धर्म शिक्षण इस लिए दिये गए, जिससे लोगों को रहने का तरीका मिल जाये, वह तरीका जिसकी वजह से अपने जीवन में मूल्यों को पकड़ कर रख सकें और अपने बच्चों को सदाचार सिखा सकें|

क्योंकि वे सारे लोग जो आत्मा के साथ आए हैं, एक जगह से नहीं आए हैं| मैं चाहूँगा कि इस बात को आप याद रखें|

दूसरी दुनियों में अनेक सभ्यता, रीति-रिवाज और प्रजातियाँ हैं| एक दूसरे के ऊपर कई सारी दुनियाएं हैं- जो अलग-अलग आवृत्ति, अलग-अलग स्पंदन में परिचालित हो रहीं हैं और निस्संदेह भिन्न-भिन्न आकृति की हैं|

और कुछ तरीकों से यह आकृतियों का परिचय बच्चों को कॉमिक्स, टेलिविजन के माध्यम से दिया जाता है, जिस से उनको ऐसी एक जिंदा आकृति जिस के पास चेतना है और पृथ्वीवासियों की तरह नहीं हैं, समझने में मदद हो सके|

हालाँकि इन सब चीजों ने लोगों के मन को ऐसी कल्पनाओं और विचारों से भर दिया है जिस से वे पृथ्वीवासियों के क्रमिक विकास का सृजन करने में मदद कर सकें – और दूसरी दुनियाओं के रहस्यों को समझ सकें|

आपके आने वाले वंश के बच्चे सरलता से नयी आकृतियां और नए तरीकों को स्वीकार कर सकेंगे ….. वास्तव में कई सारे पृथ्वी पर बदलाव लाने में मदद करने के लिए आए हैं – आप इस से सहमत होंगे कि पृथ्वी पर ऐसी कई चीज़ें हैं जो बदलाव चाहती हैं|

ऐसा बहुत कुछ हैं जिसे हमे छोड़ना होगा| और ऐसा भी बहुत कुछ है जिसे प्रेम, ध्यान रखकर और एक दूसरे (सब) का आदर करके पकड़ कर रखना आवश्यक है| यही बात मैं चाहूँगा कि आपको, मेरे बताये गए दोनों धर्मों के बारे में याद रखने कि आवश्यकता है| इस समय, इस बारे में मैं इस लिए बात कर रहा हूँ – दोनों धर्मों के बीच में मदभेद है| स्वभावतः सब के साथ नहीं- यह (मदभेद) किसी भी धर्म का साहचर्य – सिद्धान्त – नहीं है|

कोई भी संस्थान अपनी ताकत बनाए रखने के लिए अत्याचार नहीं कर रही है – जैसा कि मैंने कहा है- वह प्रेम, ध्यान रखने और एक दूसरे का आदर करने के लिए ही प्रोत्साहित करती है| यद्यपि इंसान ने मूल्य शिक्षण को बदल दिया और इसमें दूसरे व्यवहार को शामिल कर दिया| यह सब उनके धर्म के शिक्षण में नहीं है| तो अब इस की आवश्यकता है कि एक दूसरे के धर्म के शिक्षण का आदर किया जाये और हर सम्भवत प्रोत्साहन दिया जाये ताकि दोनों धर्म आपस में तालमेल बैठा सकें और मतभेदों के बावजूद भी सहमत हो सकें|

मैं उम्मीद करता हूँ कि जो कुछ भी मैं कह रहा हूँ, उसे संदर्भ के बहार नहीं लिया जाएगा|

क्योंकि यह विपर्यय और आलोचनात्मक मुद्दा नहीं है – बल्कि – इस का काम सिर्फ- सब लोगों को प्रोत्साहित करके एहसास दिलाना है कि वे विभिन्न स्थानों से आए हुए आत्मस्वरूपी हैं – अलग अलग सोच रखते हैं- और इस पृथ्वी पर उनको नाना प्रकार की नई अनुभूतियाँ हो रही हैं|

यह पृथ्वी एक निष्पक्ष खेलने का मैदान है – एक परिवार – और इसका अन्य दुनियाओं में अस्तित्व नहीं है| तो, यह कुछ आत्माओं को मिला गया सुअवसर है कि वे प्रेम, परिवार और उनके रिश्तों का अनुभव ले सकें – जो उनके किए सबसे महत्वपूर्ण है – परिवार के अटूट बंधन की अनुभूति| यह अटूट बंधन हमेशा लोगों को जोड़ कर रखता है… एक परिवार के अनदिखे डोर से और संतानीय कड़ियों से, जो परमेश्वर के प्रेम को अपने में सिमटाए हुए है|

हर एक आदमी परमेश्वर है|

इसे ही तो आध्यात्मिकता कहते हैं| हर एक प्राणी सब के सृजनात्मक स्रोत से आया है| और मैं चाहूँगा इस पृथ्वी पर हर कोई इसे याद रखे|

क्योंकि धर्मों का शिक्षण एक दूसरे से भिन्न हैं, इसका मतलब यह नहीं कि उनमें कुछ अंतर है|

सब से प्रमुख प्रेम है|

अपने भौतिक रूप में साई बाबा हमेशा यही कहते रहे कि परमेश्वर प्रेम है| और यही तो सब कुछ है|

यदि आप प्रेम के बारे में सोचें, तो वह सर्वव्यापी है| और मैं निष्प्रभाव और व्यापक प्रेम के विषय में कह रहा हूँ| यह दुरुपयोग करने वाली चीज़ नहीं है| या फिर इस के लिए लड़ाई होनी चाहिए| यह सृजन के स्रोत से आता है – ठीक वैसे ही जैसे आप पृथ्वी पर आए हैं| मैं चाहूँगा कि आप इसे याद रखें| यह इतना सहज है| आप सब ईश्वरी प्रेमी के स्रोत से आते हैं|

तो कृप्या आप इस के बारे में ऐसे सोचें – एक प्रेम का प्रकाश और एक दूसरे का ध्यान रखना, एक दूसरे के साथ मिल बांटना और एक ऐसा जीवनयापन करें जो अपप्को खुशी दे और गर्वित करे| एक बार आप भौतिक शरीर छोड़ कर प्रकाश की दुनिया में प्रवेश करते हैं, कोई आपको दंडित नहीं करता है| इस जगह पर आप स्वयं अपनी जी गयी ज़िंदगी की समीक्षा करते हैं और प्रकाश की दुनिया में प्रवेश करने के बाद जो आपको ऊर्जा प्राप्त होती है – उसमे किसी परेशानी का हल निकालने हेतु शस्त्र उठाने का तनिक भी विचार मन में नहीं आता है|

तो आप कृप्य समझिए, अपनी परेशानियों का हल निकालने हेतु यदि आप हथियार उठाने की सोचते भी हैं, तो आप अपने ही विरुद्ध कार्य कर रहें हैं|

अपने परमेश्वर से, जो हर एक जगह विध्मान हैं, जुड़े रहने के लिए, प्रार्थना और ध्यान ही सब से अच्छे माध्यम हैं| कुछ लोगों में औरों से अधिक सुदृढ़ हो सकता है| यह अत्याधिक तीव्र हो सकता है यदि कोई परमेश्वर के नाम पर ज़िम्मेदारी से करे|

परंतु यह किसी को भी चोट पहुंचाने के लिए नहीं है|

तो कृप्य आप यह याद रखिए| मैं आप सब से विनती करता हूँ, कि वह सब करें जिस से आप को दो धर्मों को समझने में जो अंतर है-जिसकी वजह से कठनाइयाँ आ रहीं हैं, उसके बारे में आप सीख पाएँ – नाकि निर्णायक हों|

एक ही परमेश्वर हैं जो प्रेम हैं|

धन्यवाद मेरे बच्चों, धन्यवाद|

परमेश्वर आप को आशीर्वाद दें| परमेश्वर आप को आशीर्वाद दें|

मैं, परमेश्वर आपको आशीर्वाद देता हूँ ❞


लौकिक साईं बाबा से प्राप्त इस प्रसारण को यहाँ सुन सकते हैं: