१ मार्च २०१६

Valerie: वैलेरी: आज १ मार्च २०१६ है और हम प्रेम और आदर के साथ लौकिक साई बाबा का आह्वान करते हैं और यहाँ पर उनकी उपस्थिति का स्वागत करते हैं|

❝मैं लौकिक साई बाबा हूँ और यहाँ आकार बहुत प्रसन्न हूँ – मैं यहाँ कुछ समय से हूँ और आपके वार्तालाप को सुन रहा था और जान रहा था कि क्या चल रहा है ….

मुझे, आपको सुन कर और आपकी, वस्तुओं के प्रति प्रतिक्रिया देखकर बहुत प्रसन्नता होती है| क्योंकि जीवन के लिए यही उत्तर है, अपने हृदय में शांति बनाए रखें और जो कुछ भी जीवन आपके सामने ले कर आता है उससे मुकाबला करें| क्योंकि कभी-कभी जीवन की परिस्थिति काफी चुनौतीपूर्ण हो जाती है| और आज मैं इसी विषय पर बात करना चाहूँगा – क्योंकि समस्त लोकों में इस समय बहुत चुनौतियाँ हैं|

यह बहुत दिनों तक नहीं चलेगा, परंतु यह अभी कुछ समय तक जारी रहेगा| इस पृथ्वी पर एक नई ऊर्जा आ रही है और वह विघ्न पैदा कर रही है – परंतु साथ-साथ ही वह पृथ्वी की ऊर्जा का उत्थान भी कर रही है|

उस बिन्दु तक उत्थान कर रही है जिसे ‘आरोहण अवस्था’ कहते हैं| पूरे गृह की चैतन्य में बढ़ोतरी होगी और यही सब तो हो रहा है|

तो यदि आप समझते हैं कि आपके शरीर में चैतन्य है – यह सच है| यह आपकी आत्म-चैतन्य से अलग है, इसके विषय में मैंने आपको कई बार बताया है| आपके शरीर में भी चैतन्य है, वह आने वाली मृत्यु के उपरांत बहुत कम समय के लिए जीवित रहता है|

मैं चाहता हूँ कि आप इसे जानें और समझें|

यह अत्यावश्यक है कि आप इसे समझें, क्योंकि कभी ऐसा भी होता है कि वे लोग जो उन व्यक्तियों की मदद कर रहे हैं, जो खतरों से घिरे हुए हैं, – यह सोच लेते हैं कि वे मर गए हैं, उनके शरीर को छोड़ कर वे वहाँ से उठ कर चले जाते हैं – परंतु अभी वे मरे नहीं होते हैं – तो यह अवशयक है कि वे उनके शरीर के साथ रहें, यद्यपि ऐसा भी हो सकता है कि शरीर बहुत ही बुरी तरह से क्षतिग्रस्त होने के बावजूद , वे उसी शरीर के साथ जीने का चयन कर सकते हैं|

तो भी उनका शरीर स्वस्थ हो सकता है| शरीर में, स्वस्थ्य होने का अत्यंत सामर्थ्य है| जितना हमारी समझ में आता है, उससे कहीं ज़्यादा| हमने चिकित्सक दुनिया को स्वस्थ होने के और बीमारों की मदद करने के कई तरीके दिखाये हैं….किन्तु शरीर के पास स्वस्थ होने का ऐसा ढांचा है जो बहुत ही बढ़िया तरीके से काम करता है – यह महत्वपूर्ण है कि हार नहीं मानना है, या शरीर के भीतर होने वाली प्रक्रिया को पहचानना नहीं है|

कभी कभी, यकीनन शरीर को जलदी से स्वस्थ करने के लिए ‘एक धक्का’ देने की आवश्यकता पड़ती है – किन्तु यह शरीर का तरीका नहीं है| वस्तुतः शरीर के स्वस्थ होने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है|

निस्सन्देह, सब से अच्छा तरीका उस व्यक्ति के लिए प्रार्थना करना है, जिसे चिकित्सा कि आवश्यकता है|

यदि आप घायल हैं या आपको ऑपरेशन के बाद का उपचार चाहिए, या फिर इसी प्रकार का कुछ भी, आप अपने अन्तर्ज्ञान का अनुसरण शांति से कर सकते हैं और आपका शरीर ही यह विचार आपको देगा कि उसे स्वस्थ होने के लिए किस चीज़ की आवश्यकता है|

या कभी-कभार एक छोटी सी विश्रान्ति ही काफी है, शरीर को शांत होने के लिए और यह समझने के लिए कि वह भीतर अपने आप से ठीक हो रहा है, या फिर यह समझने के लिए कि चेतना को किसी चीज़ से भय है – और वह सब शांत किया जा सकता है जिस की वजह से शरीर जल्द ही स्वस्थ हो जाएगा|

निश्चित रूप से शरीर स्वस्थ हो जाएगा| इस लिए संकट में घिरने पर आसानी से हार नहीं माननी चाहिए| आप को सिर्फ इतना करना है कि अहं को शांत करना है – अपने तंत्रिका तंत्र को शांत करना है – अपने हृदय को शांत करना है – अपने हर एक अंग को शांत करें जो भीतर से आपको शुद्ध और पोषित करने में आपकी मदद करता है – और फिर अपना ध्यान चिकित्सक के परामर्श की ओर ले जाएँ – और आप क्या महसूस करते है – आपका शरीर को किस चीज़ की आवश्यकता है|

मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरा परामर्श आपके समझ में आ रहा होगा| मैं आप से यह कतई नहीं कह रहा हूँ कि आप चिकित्सक, नर्स या अस्पताल से मदद न मांगें| मैं आपको यह नहीं सुझा रहा हूँ कि आप ऐसा करने से आप अपने को रोक लें|

मैं तो आप से सिर्फ यह कह रहा हूँ, या सुझाव दे रहा हूँ कि आप शांत रहें और विश्राम करें| अपने मस्तिष्क को अपने विचारों और गपशप से, अधिक शीघ्रता के साथ न दौड़ाएँ – बल्कि हृदय में जाकर उसकी सुनें – क्योंकि इसी जगह से प्राणशक्ति धड़कती है और इसी धड़कन से आपको समझ में आ जाएगा कि आपको किस चीज़ की आवश्यकता है, इसका मैं आपको आश्वासन देता हूँ|

आपकी आत्मा आपको परामर्श देगी| कुछ लोग इसे आत्मिक योग्यता कहते हैं किन्तु यह हर एक के पास है| कृप्य इसे न भूलें| कुछ इसे अतीन्द्रिय ज्ञान कहते हैं – आप इसे कुछ भी बुला सकते हैं – यह एक जागरूकता है कि अब कुछ करने की ज़रूरत है, ऐसा कुछ खाना या पीना है जो आपको स्वस्थ होने में मदद करे|

सब कुछ धैर्य के साथ – किसी भी चीज़ को जल्दी से न निगलें – जल्दी जल्दी सांस न लें – सब की रफ्तार धीमी कर दें – और यह सब, आपके शरीर को स्वस्थ होने में लाभकारी सिद्ध होगा|

तो अब मैं, इन विचारों, अपने प्रेम और आशीर्वाद के साथ आपसे विदा लेता हूँ – शांति के प्रति आत्म-समर्पण कीजिये| क्योंकि यही तो आप हैं- शान्तिप्रिय, बुद्धिमान प्रकाशमय जीव- यदि आप इसे स्वीकार करें तो – आपका दिव्य स्वरूप आपको हमेशा सकुशल रखेगा|

और निस्सन्देह आपके भीतर स्थित परमात्मा, वह हमेशा आपके साथ है|

धन्यवाद मेरे बच्चों, धन्यवाद|

मैं, परमात्मा आपको आशीर्वाद देता हूँ| ❞


आप लौकिक साई बाबा का प्रसारण यहाँ सुन सकते हैं: