३ नवम्बर २०१५

Valerie: वैलेरी: आज मंगलवार, ३ नवंबर २०१५ है; और हम लौकिक साई बाबा का आह्वान करते हैं

❝मैं यहाँ हूँ! और यहाँ आ कर बहुत प्रसन्न हूँ| मैं यहाँ कुछ समय से हूँ|

आज मैंने यहाँ की पूरी गतिविधियां देखीं| और मैं मानता हूँ कि दूसरे देवताओं ने भी आज की गतिविधियों से कुछ सीखा होगा| इन सब का मूल कारण ऊर्जा है| हर एक चीज़ ऊर्जा है| और यदि आप इसे देख सकें तो यही ऊर्जा एक आकार ले लेती है| किन्तु यह सब सोच विचार का विषय है| क्योंकि हर एक आकार में स्थित ऊर्जा की अलग अलग आवृत्ति होती है|

दूसरे शब्दों में कहें, तो यह सब विभाजित हैं| परंतु इस का अर्थ यह नहीं है कि उनका एक दूसरे पर प्रभाव नहीं है| यदि हम इन्सानों के बारे में सोचें, इंसान एक दूसरे के साथ बातचीत कर सकते हैं – वे सभी एक दूसरे से भिन्न होंगे – भिन्न ऊर्जा; भिन्न आकार फिर भी एक दूसरे को समझेंगे, आदर कर पाएंगे, और एक दूसरे की भिन्नता का आदर करना सीखेंगे|

और यही सार्वलौकिक प्रेम है|

आज का संदेश महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि आज … आपकी पृथ्वी पर इस समय ….लोगों की सबसे अधिक गतिविधियां होने के कारण, सब से ज़्यादा परेशानियाँ ऐवम चिंताएँ हैं| और पृथ्वी भी इन लोगों की मदद करने की कोशिश कर रही है|

पृथ्वी के पास खुद एक अपना आकार है – एक ऊर्जा – उसका अपना अस्तित्व है और उसमे चेतना भी है| यह बिलकुल वैसा ही है जैसे आमतौर पर लोगों में, या फिर पृथ्वी पर किसी भी अन्य जीवों में होता है| उसमे प्रकाश है| अब तो, प्रकाश को कई तरीकों से मापा जा सकता है-किन्तु फिर से – उसमे भी अपनी एक आवृत्ति और चैतन्य है| और हम एक दूसरे के साथ रहना सीख सकते हैं|

उदाहरणार्थ, मैं पेड़-पौधों के बारे में सोच रहा हूँ| या फिर कुछ भी ऐसी चीज़ जिसकी पृथ्वी से रचना हुई है| धरती माँ ने सब के साथ रहना सीख लिया है, वह हर चीज़ में अपनी प्रतिकृया दिखाती है| इस गृह पर आपकी रचना की वह हिस्सेदार है| और यदि आप इस विषय पर सोचें – वह जिस तरीके से हर काम का संचलन करती है….वह हर एक के लिए हमेशा अच्छा होता है|

और – निस्सन्देह – लोगों के क्रिया-कलाप से पृथवी बाधित हो जाती है| जैसेकि व्यर्थ में ही पृथ्वी को खोदना| जब भी वह अपनी ऊर्जा स्तर में बदलाव लाना चाहती है, वह ज्वालामुखी में हलचल, सूनामी अथवा कुछ ऐसी घटनाएँ पैदा कर देती है जिससे हर एक चीज़ अस्त-व्यस्त हो जाती है| और यह, हर एक के जीव की चैतन्य शक्ति के ताल मेल से ही होती है|

यदि आप इसके बारे में सोचें, कई सारी जानों का नुकसान हो सकता है – किन्तु इन सब की- दूसरे स्तर – यानि आत्मा के स्तर पर यह सारे कामों की स्वीकृति है| इसे समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है| मैं इस विषय पर पहले भी कह चुका हूँ, जब आप इस पर गौर करेंगे, तो आप समझ पाएंगे, क्योंकि हर एक जीव, सारे इंसान पृथ्वी पर बहुत कम समय के लिए रहने आते हैं|

मैं आपसे पहले ही कह चुका हूँ, आपको इस बात का एहसास होना चाहिए कि इस गृह पर आपकी ज़िंदगी आप के वस्तुतः अस्तित्व से बहुत ही छोटी है| आपकी आत्मा यहाँ पर कई बार विचरण कर चुकी है – आपकी आत्मा की एक कहानी है – एक अनंत कहानी| वह कई जगह जा चुकी है, कई सारी दुनिया, कई सारी जातियाँ देख चुकी है – जातियाँ जो इन्सानों से अलग दिखती हैं| परंतु आप वहाँ गए हैं|

तो उन सब का प्रभाव आप की आत्मा द्वारा आपके साथ आया है और अब आप पृथ्वी पर होने वाली हर घटना पर अपना प्रभाव डाल रहे हैं| मैं चाहूँगा कि आप इस विषय पर सोचें – क्योंकि पृथ्वी पर ऐसा कुछ भी नहीं, जो कहीं और से आया न हो| यहाँ तक कि अलग–अलग जातियों की संस्कृति भी कहीं न कहीं और से आई है|

तो आप निरंतर दूसरी दुनियाओं – और दूसरे जीवों से प्रभावित होते रहते हैं| भले ही वे अलग दिखते हैं…मैं आपको याद दिलाना चाहूँगा कि सब में चैतन्य तो एक ही है| भाषाएँ अलग हो सकती हैं, किन्तु जब आप चित्र द्वारा संपर्क करना सीख जाते हैं- यह दूरसंवेदन जैसा प्रतीत होता है-फिर वे आपको ठीक तरह से समझने लगते हैं| तो यदि आप चित्रों द्वारा संपर्क करते हैं, यह लोग आपको और जो भी आप समझाने का प्रयत्न करते हैं – अच्छी तरह से समझ पाएंगे| आप इसके बारे में सोचिए|

दूसरे शब्दों में – मैं यह कहना चाहता हूँ कि कोई भी विभाजन नहीं है; सब एक है| और जब बात सृजन के स्रोत की आती है – यहीं से ही सबका प्रारम्भ हुआ है; और यहीं पर सब अंत हो जाएगा|

फिर एक अन्य समय में, मनुष्य कुछ और बन जाते हैं| तो, आप इसके बारे में विचार कीजिये|

कृप्या एक दूसरे से प्रेम करना सीखें| यदि आप न भी समझ पाएँ – तब भी मदभेदों से सहमत रहें| यदि आप एक दूसरे को समझने का प्रयत्न करते हैं, और मदभेदों के बारे में बातें करते हैं …. अपने वाक्यों को बदलकर इस प्रकार से व्यक्त करें – कि जो पहली बार में न समझ में आया हो, वह दूसरे तरीके से समझ में आ जाए – फिर आप पाएंगे कि इस पृथ्वी पर कोई ऐसा मदभेद था ही नहीं|

किसी भी मनुष्य में नहीं…. कोई भी मदभेद नहीं| वे सभी एक स्रोत से आते हैं; और एक ही स्रोत में समा जाते हैं जोकि प्रकाश की दुनिया है| कृप्या इसपर विचार करें|

धन्यवाद|

धन्यवाद, धन्यवाद, मेरे प्यारे बच्चों आज मुझे यहाँ पर पर बुलाने के लिए जिसकी वजह से मैं आपको याद दिला पाया कि आप वास्तव में कौन हैं – प्रकाश की दुनिया के प्रकाशमय जीव|

मैं, परमात्मा आपको आशीर्वाद देता हूँ| ❞


आप लौकिक साई बाबा का संचरण यहाँ सुन सकते हैं:



 

परिशिष्ट

लौकिक साई बाबा ने अपने पहले संचरण (मई २००८) में उल्लिखित किया था कि वे लौकिक अनुक्रम को बनाने वाले प्रकाशमय जीवों के सरदार हैं| समय- समय पर वे प्रकाशमय जीवों और देवताओं को इन संचरणों में उपस्थित रहने का आमंत्रण देते आए हैं, क्योंकि यह सब संचरणों में उपस्थित लोगों के लिए एक विद्यालय समान हैं| (और अधिक उदाहरणों के लिए आप मिस्टरि स्कूल्स को देखें) )

संचरण की बैठक शुरू होने से पहले, हमने कमरे की ऊर्जा साफ करने हेतु, मंदिर की घंटी बजाई| जब ऊर्जा दोषमुक्त हो जाती है, वह उच्च ऊर्जा-क्षेत्र की ओर उठ जाती है जो दूसरी दुनियाओं के सर्वोच्च अनुक्रम को आने की इजाज़त देती है और फिर मंदिर की घंटी बहुत स्पष्टतया, शक्तिशाली ढंग से, ऊंचे स्वर में बजने लगती है|

किन्तु, आज जब मैंने घंटी को, उसके लकड़ी के डंडे से पकड़ कर बजाया, तो वह नहीं बजी, जबकि, सामान्यतः घंटी धीमी धुन में बजते हुए बहुत ही ज़ोरों से बजने लगती है|

पहली बार तो वह बजी ही नहीं| तो, मैंने सभी उपस्थित जन को एक सुर में पवित्र ॐ का जाप करने को कहा| (लौकिक साई बाबा ने हमे पहले बताया था कि जब भी हम ॐ का जाप करते हैं, देवतागण हमारे बीच उपस्थित हो जाते हैं) घंटी से फिर भी आवाज़ नहीं निकली| हमारे बार बार ॐ का जाप करने के बावजूद भी मंदिर की घंटी नहीं बजी- हमे एक रहस्योद्घाटन हुआ-कि कमरे में बहुत ही भारी ऊर्जा उपस्थित थी|

लंबी कहानी को छोटा करते हुए, ऊपरी भाग में उपस्थित एक महिला, आत्मा से संपर्क करने की कोशिश कर रही थी कि वह उस के माध्यम से बातें करे| महिला पर हाबी होती हुई भारी ऊर्जा को स्वतन्त्र करने में मदद दी गयी ….यह उस भारी ऊर्जा के लिए भी सुअवसर था कि वह मुक्त हो कर परमात्मा के दिव्य प्रकाश में समा जाये|

लौकिक साई बाबा ने हमे सिखाया है कि ऊर्जा हमेशा रहती है| सही मंशा से भारी ऊर्जा को दिव्य प्रकाश में वापस भेजा जा सकता है| उसे निर्वासित करके नक्षत्रीय समक्षेत्र में तैरने के लिए छोड़ना नहीं चाहिए| भगवान ही जानता है कि वह किस गरीब जीव के ऊपर बस जाये|)

उस महिला को बताया गया कि किस प्रकार से अपनी ऊर्जा शक्ति को साफ करना चाहिए इन उच्चस्तर आत्माओं को बुलाने से पहले, और हमेशा परमात्मा के नाम से ही बुलाएँ|

हमे पता है, कि हमे संगठित किया गया है दूसरी दुनियाओं को दिखाने के लिए कि किस प्रकार से भारी ऊर्जाओं की मदद की जा सकती है|

मंदिर की घंटी आसानी से बजने लगीं – धीरे-धीरे उसकी आवाज़ बढ़ती चली गयी – और फिर इतनी ज़ोर से बजने लगी कि पूरा घर सर पर उठा लिया!!! उसके बाद ही लौकिक साई बाबा के संचरण के लिए समूह तैयार हो पाया|”

~वैलेरी