सादर प्रेम और आदर भाव के साथ हम लौकिक साईं बाबा का आह्वान करते हैं |
❝ मैं लौकिक साईं बाबा हूँ और यहाँ आकर बहुत प्रसन्न हूँ| निसंदेह: मैं यहाँ शुरू से ही था| आज आपकी ऊर्जस्विता बहुत दीप्तिमान और हलकी है और यह देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है| मैं जानता हूँ कि आप हमेशा मेरा स्वागत करते हैं और मुझे यहाँ आमंत्रित करने के लिए मैं आपको धन्यवाद करता हूँ|
आज का मेरा सन्देश लम्बा नहीं है, फिर से यह एक आश्वासन का ही है – मेरा सन्देश एक परामर्श है कि जब भी आप चाहें आपको मदद मिलेगी… … बस आपको सिर्फ मुझे बुलाना है और मैं आपके पास स्वयं आ जाऊँगा या एक दूत भेज दूंगा| मैं आऊंगा – परन्तु यह घटना पर निर्भर करता है | लेकिन आप जब भी हमें बुलाना चाहें (यदि आप चाहते हैं) तो बेझिझक बुला सकते हैं| मैं इसे इस तरह कहना चाहूंगा – हम कई सारे लोग हैं|
मैं चाहूंगा कि आप उच्च श्रेणी के ब्रह्मांडीय जीवों को ही बुलाएँ| वे विभिन्न आकार व रूप के हो सकते हैं| आपने अपने मन की आँखों से उनको देखने की क्षमता विकसित कर ली होगी – यह बहुत ही अच्छी बात है| डरिये मत बस इसकी आदत डाल लीजिये|
क्योंकि वो आकार वास्तविकता नहीं है – यथार्थ है, तो सिर्फ चेतना – और वही महत्वपूर्ण है | बस यही आपको किसी अपसामान्य विषय के सन्दर्भ में काम करते समय, समझने की आवश्यकता होगी|
जब मैं यह कहता हूँ कि पृथ्वी पर जो जाती रहती है वे इंसान हैं – ऐसा सोचिये कि यही दुनिया सामान्य है – किन्तु मैं आपको विश्वास दिला सकता हूँ – कि यह दुनिया वास्तविक नहीं है| और आप यहाँ – यदि ऐसा कहें – एक अभियान पर आये हैं, सीखने, अनुभव लेने, अपना योगदान देने, और एक दुसरे की मदद करने – अपनी नैतिकता बढ़ाने, और यही सबसे महत्वपूर्ण है|
क्योंकि नैतिकता ही चरित्र का निर्माण करती है और यही आपका लक्षय है| यह पूर्णत: दिव्य ऊर्जा की प्रेम और प्रकाश में विद्यमान है|
उच्चस्तर से – परमेश्वर से, जो हम सब का निर्माता है| मैं चाहूंगा कि आप इस पर विचार करें – और फिर ध्यान करें| उस दौरान यदि कोई विचार आपके मन में उभरता है तो उस पर भी विचार करें| क्योंकि यह सन्देश आपकी आत्मा से आया है जो आपको विचार करने के लिए कह रही है – कि यह सन्देश आपके मन में क्यों उस समय ही उभरा|
हर एक प्राणी को विकसित होने और अपने आप को समझने का अधिकार है – कि हम कौन हैं और यहाँ किस मकसद से आये हैं|
और यह क्षमता आपके भीतर है … … जो सीखती है – और आपको यह समझने में मदद करती है कि आप असल में कौन हैं| कोई भी आपके लिए यह कह नहीं सकता – और ना ही कुछ कर सकता है|
मुझे आशा है कि मैं अपने कहने का तात्पर्य समझा पा रहा हूँ | दूसरे शब्दों में कहें – अपने हर कथन व करनी की ज़िम्मेदारी लें| जो भी आपके मनोभाव में प्रतिक्रिया हैं उन्हें देखिये -उनके बारे में विचार करें| यदि वे आपको को दर्द देते हैं – जांच करिये ! यदि वे दूसरों को कष्ट देते हैं, तो उनसे पूछिये कि वे ऐसा क्यों करना चाहते हैं|
अपने हृदय में प्रेम ढूँढिये … … पूरा ब्रह्माण्ड … … प्रेम है| यह करुणा है | यही उच्च स्तर का सही स्रोत है|
यह याद रखिये – यह याद रखिये|
मेरे जाने से पहले मैं लोगों को धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने मुझे पत्र लिखें हैं और अपने विचार मेरे साथ बाटें हैं और मैं चाहूंगा कि मेरे आज के सन्देश पर ध्यानपूर्वक विचार करें|
तो मैं आपको धन्यवाद देता हूँ| मुझे यहां बुलाने के लिए धन्यवाद और अब मैं आपको अपने प्रेम के साथ आपसे विदा लेता हूँ,
मैं, परमेश्वर आपको आशीर्वाद देता हूँ| ”
आप लौकिक साई बाबा का प्रसारण यहाँ सुन सकते हैं:
यह एक 4:09 एमबी की एमपी ३ फाइल है, बजाने का समय 4:27′ है