०४.११.२०१४

हम लौकिक साईं बाबा का आह्वान करते हैं, और उनका यहाँ पर स्वागत करते हैं| धन्यवाद|

❝मैं लौकिक साईं बाबा हूँ और यहाँ आकर बहुत प्रसन्न हूँ| हमेशा की तरह – मुझे आपसे मिलना और बातें करना अच्छा लगता है|

आज इस मुद्दे पर काफी चर्चा हुई है कि (यदि मैं अपनी बात को ऐसे रख पाऊँ) “क्या यह दुनिया कभी स्थिर और शांत जगह बन पाएगी?”

मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूँ कि – ऐसा होगा – किन्तु अब थोड़ा समय लगेगा – पृथ्वी पर समय का मापन अलग तरीके से होता है| मैं यह नहीं कहूँगा कि बहुत लम्बा समय लगेगा| कदाचित एक कालचक्र युग – लगभग ७ वर्षों का एक कालचक्र युग| और मैं इतना समय इस लिए कह रहा हूँ क्योंकि आठवें साल में पृथ्वी स्थिरता और शांति की तरफ चली जायेगी|

मैं यह सब इस लिए कह रहा हूँ क्योंकि मुझे (भौतिक शरीर में) इस समय तक कथित रूप से पृथ्वी पर होना था| परन्तु मैंने समय से कुछ पहले ही अपना भौतिक चोला छोड़ दिया| यद्यपि, अभी भी मैं आप के पास ही हूँ! मैं यहीं पर हूँ! आपके इर्द-गिर्द, पर आपकी दृष्टि से ओझल| मैं निकटतम लोक में हूँ| वह वास्तव में मेरा घर नहीं है बल्कि मैं यहाँ – इस समय के लिए -रह हूँ – दरअसल मानव – यहाँ कहना चाहूंगा, छोटे-छोटे पृथ्वीवासियों – को प्रेरित व मदद करने के लिए, क्योंकि यह एक जाती है, एक ऐसी जाती जो एक दूसरे को समझने के लिए जिद्दोजहद कर रही है| वह एक- दूसरे का आदर करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं| वह एक-दूसरे से सहमत होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं| और मैं यहाँ कहना चाहूंगा कि एक-दूसरे के साथ सम्पर्क रखना एवं एक-दूसरे को समझने की तत्परता को अधिकांश समय व ज़ोर देना चाहिए| जिससे पृथ्वी पर अलग-अलग जातियों के बीच हो रहे मदभेदों के कई सारे मामलों में सामंजस्य बनाया जा सके, हालाँकि आप सब एक ही जाती के हैं|

आप सब ने ही इसको विभाजित किया है – तो इस को एक साथ लाना भी आप का ही कर्त्तव्य है|

यह कोई फैसला नहीं – कर्मों के नियम हैं – जो भी आप देते हैं, वही आपको वापस मिलता है! हर एक को इसके बारे में सोचने कि ज़रुरत है| यह बहुत ही सहज है – वास्तव में बहुत ही सहज नियम है| यह हर एक पर लागू होता है – कार्य में….विचारों में….अनुभूतियों में भी! क्योंकि हर एक चीज़ ऊर्जा है – ऊर्जा बहार जाती है – और वह वापस लौटती है| यही बात तो आपको समझाने की कोशिश कर रहा हूँ|

तो मैं चाहूंगा आपके इस के बारे में विचार करें| क्योंकि यह आसपास की ऊर्जा को नम्र करने में मदद करेगा…एक दूसरे के साथ सामंजस्य लाने में भी| यदि लोग अपने विचारों को, क्रोधित न हो कर केवल फुसफुसाते हुए बोलें, वे उन्हें बिना किसी परेशानी के,एक दूसरे से संपर्क करके भेज सकते हैं…. और वह निश्चय ही दूसरों पर असर करेगा|

कृपया अपने विचारों के बारे में सचेत रहिये… क्योंकि आपके कर्म करने से पहले यही होता है…यदि आप नम्रता से सोचेंगे तो कर्म भी विनम्र ही होगा| और यकीनन जब कर्म विनम्र होंगे – तो अहसास भी विनम्र होगा- और मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूँ कि यही सभी के सृजन के स्रोत हैं| आप इसे ही प्रेम कहते हैं|

मैं उम्मीद करता हूँ कि मैं अपने आप को समझा पा रहा हूँ, क्योंकि वास्तव में पृथ्वी पर शांति और समन्वय लाने के लिए … केवल यही बात आपको समझनी है| यह इतना सरल है|

जब आप में कोमलता होती है- तो आप सब के भीतर स्थित उच्चतर ज्ञान व बुद्धिमता को सरलता से बहार निकाला जा सकता है| और आप अपने इस पहलु तक पहुँच सकते हैं| मैं ‘पहलु’ इस लिए कहता हूँ क्योंकि आप बहुत ही बड़ी आत्मा का एक हिस्सा हैं| एक बहुत बड़ी आत्माओं का समूह| और आप यहाँ पर भौतिक शरीर में आये हैं एक दूसरे की मदद करने… एक दूसरे की देखभाल करने…और एक दूसरे का सम्मान करने| यही आप को पृथ्वी पर शांति…समन्वय….और सद्भावना बनाने के लिए चाहिए|

मैं प्रवचन नहीं देना चाहता हूँ (हालाँकि ऐसा ही प्रतीत हो रहा है)| मैंने आपसे जितना भी कहा है उसपर विचार-विमर्श करने के लिए आपको छोड़ता हूँ| और कृपया अपने विचारों में….स्वयं से स्नेह रखें और नरमी बरतें |

कभी भी अपने ज़हन में कोई धारणा नहीं बनने देनी चाहिए, बल्कि उसे अपने बारे में एक विनम्र विचार के साथ बदल लेना चाहिए और फिर वह नम्र ऊर्जा बड़ी तेज़ी से आपके आर पार हो जायेगी| एक अप्रसन्न ऊर्जा से भी तेज़| वह नम्र पड़ेगी…वह घाव भर देगी…वह मुक्त कर देगी…और यही चीज़ पृथ्वी पर हर एक के लिए होना चाहिए|

और तो मेरे प्यारे बच्चों, मुझे आज यहाँ आने देने के लिए, आप सब का धन्यवाद देना चाहता हूँ| परन्तु मेरे जाने से पहले, मैं उन सारे पत्रों को ले जाना चाहूंगा, जो लोगों ने मुझे बहुत ही प्रेम से, मेरा आह्वान करते हुए लिखें हैं – और मैं चाहूंगा कि वे यह जानें कि मैं उन सबके लिखे हुए पत्र पढ़ता हूँ (बास्केट से लेते हुए) और मैं उस ऊर्जा को प्रेम के साथ वापस भेजता हूँ| मैं उनके भय का स्वरुप बदल देता हूँ….क्योंकि जब वह प्रेम में परिणत होता है…सारी चीज़ें अपने आप सही जगह पर आ जाती हैं| यदि सीधी तरह से नहीं – पर अंततः वह आ ही जायेगी| यही बस आपको सोचना है मेरे बच्चों| बस यही|

इस पृथ्वी पर कष्ट झेलते बच्चों के बारे में बातें हो रही थीं……और यह सच है| पृथ्वीवासियों के बहुत सारे बच्चे कष्ट झेल रहे हैं|

और वे समझते नहीं हैं| उनकी देखभाली एवं देखरेख करने की आवश्यकता है| तो कृपया बच्चों की देखभाल करिये|

मैं आपका धन्यवाद करता हूँ , मैं आपका धन्यवाद करता हूँ और परमेश्वर आपको आशीर्वाद दें|

तो धन्यवाद, मेरे प्रियजनों, धन्यवाद|

मैं, परमेश्वर आपको आशीर्वाद देता हूँ”|❞.


आप लौकिक साई बाबा का प्रसारण यहाँ सुन सकते हैं:
 

 

माँ मरियम का संचरण

एक लम्बी सांस के साथ……माँ मरियम का प्रवेश होता है:

❝“मैं माँ मरियम हूँ….जो आपसे बातें कर रही हूँ| यह कोई संयोग नहीं है कि आपने मेरी उपस्थिति महसूस की| आप के बीच में माँ मरियम के विषय पर चर्चा हो रही थी, और मैं यहाँ प्रकट हो गयी|

मैं यहाँ हूँ, बच्चों के बारे में बात करने के लिए मैं साईं बाबा को भी प्रोत्साहित कर रही हूँ…क्योंकि बच्चे बहुत ही पीड़ा में हैं| इस पृथ्वी पर बहुत सारे तरीकों से बच्चे बहुत कष्ट में हैं| एक ही देश में नहीं – परन्तु बहुत सारे देशों में; कुछ देशों में फिर भी उनकी स्थिति ठीक है…फिर भी बच्चों को बहुत कष्ट है|

मुझे पता है कि बच्चों की मदद, रखवाली, रक्षा करने के लिए बहुत सी गतिविधियाँ चल रही हैं| और मैं चाहूंगी कि आप इस के लिए प्रार्थनाएं करें| आप को सिर्फ प्रार्थनाएं करनी हैं, क्योंकि जिन व्यक्तियों के पास बदलाव लाने की शक्ति है, वे आपकी प्रार्थनाओं से प्रभावित होंगे, चाहे आप इसे मानें या न मानें|

(फुसफुसाते हुए) मैं आपको…यही बताने और प्रार्थना करने के लिए प्रोत्साहित करने आई हूँ| बस इतना ही मेरे प्यारों, बस इतना ही| मैं यहाँ आकर और आपके साथ यह सारी बातें बाँट कर बहुत प्रसन्न हूँ – आप सब खूबसूरत महिलायें हैं, खूबसूरत महिलायें, खूबसूरत महिलायें|


आप माँ मरियम से इस संदेश को सुनने के लिए हो सकता है:

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