४ अक्टूबर २०१६

वैलेरी :: आज ४ अक्टूबर है| आज मंगलवार है और हम यहाँ मोस वेल में इकटठा हुए हैं| बड़े प्रेम आर आदर भाव के साथ हम लौकिक साई बाबा का अहवान करते हैं|

❝मैं यहाँ हूँ! और मैं यहाँ आकार बहुत प्रसन्न हूँ| वाकई में बहुत प्रसन्न|

आज इस कमरे की ऊर्जा बहुत प्रखर है| यदि आप लोगों को इस बात का एहसास नहीं हुआ हो तो मैं चाहूँगा कि आप इस बात पर अपना ध्यान केन्द्रित करें| यदि आप अपना ध्यान अपने हृदय पर, जिसे आप एक द्वार के रूप में देखें, उसपर केन्द्रित करें, और इस कमरे में उपस्थित ऊर्जा को महसूस करने की कोशिश करें|

और वे सभी लोग जो इस संदेश को सुन रहे हैं, मैं चाहूँगा कि आप भी इस प्रक्रिया को करें| क्योंकि मैं इस ऊर्जा को पृथ्वी के आर पार भेज रहा हूँ| यह बहुत बड़ी बात कहने के लिए है परंतु – मैं, श्री सत्य साई बाबा होने के नाते – यह सब को ज्ञात है कि सर्वव्यापी हूँ…. और इसलिए यह ऊर्जा कर्ण कर्ण में व्याप्त है! और मैं यह भी चाहूँगा कि आप इसे समझें और अनुभव करें कि – कहीं पर भी कोई विभाजन नहीं है| वह (ऊर्जा का स्रोत) सब के भीतर है और आप के भीतर है|

यह आप के चारों ओर हर एक चीज़ में विद्यमान है; यह जानवरों, पक्षियों, वनस्पति, कीड़े मकोड़ो में विद्यमान है| यह सब कुछ में विद्यमान है| यह स्रोत की रचनात्मक ऊर्जा है| और यह सब जगह उपस्थित है| पत्थर में – तत्व में – या किसी भी रूप की ऊर्जा में|

और इन सब का मतलब निस्संदेह, भौतिक अवस्था से है| यह ज़रूरी नहीं कि यह मनुष्य ही हों परंतु यह प्राणी दूसरी जगहों से, दूसरी दुनियाओं से भी आ सकते हैं| मैंने पहले भी इस विषय पर बातें की थीं और मैं चाहूँगा कि आप इस विषय पर और विचार करें| क्योंकि धरती पर विद्यमान ऊर्जा – यहाँ तक वायुमंडल भी – उस चेतना का उत्थान कर रहे हैं जो हर एक कण में व्याप्त है|

यह समझने में थोड़ा मुश्किल हो सकता है – हालांकि यदि आप अपने शरीर के डी एन ए पर गौर करें – यह चेतना को संभाले रखता है – और जीवन यहीं से प्रकाशित होता है – यही प्रक्रिया हर एक कण में होती है और विज्ञान के दूसरे माप में भी|

यह हम सभी के सृजन के स्रोत से आता है|

यह अनंत है| यह वो शब्द है जिसे मनुष्यों को भी सही तरीके से समझने में दिक्कतें होती हैं; किन्तु मैं चाहूँगा कि आप यह जान लें कि यह एक सत्य है इसका अस्तित्व है| समय और दूरी का कोई अस्तित्व नहीं है, क्योंकि चैतन्य द्वारा, बिना किसी व्यवधान, दूरी या समय के बढ़ाया जा सकता है| मैं चाहूँगा आप इसके बारे में सोचें …. यद्यपि वैज्ञानिक …या अन्तरिक्ष के यात्री हमेशा दूरी, समय और प्रकाश की गति के बारे में बातें करते रहते हैं| मैं आपको आश्वासन दे सकता हूँ कि वह सीमित है| और जो भी परिमित होती है, उससे अनंत की पूर्णता समझ नहीं आती|

और वह निस्सन्देह – जैसा कि आप समझते हैं – अनंतकाल है|

तो मेरे प्रिय बच्चों, आप वह सब हैं| आप अनादि और अनंत हैं| तो आप यह मत सोचिए कि आप एक मानव शरीर ही हैं बस| क्योंकि आप यह नहीं हैं|

आप अनन्त हैं|

आप अपना रूप बदलने की क्षमता रखते हैं|

आप अपनी समता को बदल सकते हैं |

आप अपने चैतन्य को भी अनुकूलित कर सकते हैं|

परंतु आप अनन्त हैं|

तो कृप्या यह याद रखिए| यह याद रखिए| यह याद रखिए|

आपकी इस गोष्टी में आकर मुझे अति प्रसन्नता हुई है क्योंकि आप सब – मन से, एक दूसरे के साथ, बहुत मेल खाते हैं| और हम, प्रकाश की दुनिया से, यही उम्मीद कर सकते है कि पृथ्वी पर अधिक से अधिक मनुष्य यह समझ पाएंगे कि संरूचि का मतलब क्या है| इस का वर्णन करने के कई तरीके हैं| यह वस्तुतः महज़ प्रेम के ही है|

तो आप सब दैव्य-शक्तियाँ हैं| यदि आप इस विषय सोचना चाहें किन्तु इस बात से अपना विवेक न खोएँ कि बस आप ही शक्तियाँ हैं या आप सब से बेहतर हैं| यह ऐसा बिलकुल भी नहीं है| प्रेम की ऊर्जा सब को अपने आलिंगन में ले लेती है, यह भरपूर है, ऐवम यह बहुत ही शक्तिशाली है| तो फिर से कहना चाहूँगा कि इस बात का ध्यान रखें कि आप कौन हैं – और अपने भीतर की शक्तियों का दुरुपयोग न करें|

अपना ध्यान रखें|

धन्यवाद मेरे बच्चों, धन्यवाद|

मैं, परमात्मा आपको आशीर्वाद देता हूँ|❞


Yलौकिक साई बाबा के इस संचरण को आप यहाँ सुन सकते हैं: