६ सितम्बर २०१६

Valerie: वैलेरी: आज मंगलवार ६ सितम्बर है, और हम मोसवेल में इक्कठे हुए हैं| अपने हृदय में बड़े प्रेम व आदर भाव के साथ, हम लौकिक साई बाबा का आहवान करते हैं|

❝ मैं यहाँ हूँ! मैं यहाँ कुछ समय से हूँ और आपकी बातचीत का आनंद ले रहा था… … यह मैं अनेक बार कह चुका हूँ|

मुझे आपकी बातचीत के बहाव का तरीका बहुत पसंद आया…. क्योंकि यह एक दूसरे को पूरा ज्ञान और जानकारी देता है और यह महत्वपूर्ण है| यह बहुत ज़रूरी है कि आप हर-एक सकारात्मक ज्ञान को आपस में बाटें – ना कि नकारात्मक ज्ञान को – और यही आप कर रहे हैं| यह अच्छा है क्योंकि यह आपके चारों ओर की ऊर्जा को बदल देता है …. और यदि दूसरे लोग भी इस बात को समझें तो उन्हें एहसास जो जाएगा कि जब वे अच्छी, भली व आनंदमय वस्तुओं के बारे में बातें करते हैं तो वहाँ की ऊर्जा बदल जाती है! क्योंकि आप एक ऐसे गृह पर रह रहे हैं जिसमे दुख और सुख दोनों वास करते हैं|

दुख, निस्सन्देह, कठिन समय है – वास्तव में बहुत ही कठिन समय- परंतु, यदि आप इस समय को दिव्य प्रेम के साथ संचलन करेंगे तो आप पाएंगे कि यह सारे दुख, आनंद में परिवर्तित हो जाएँगे और तब आपमें किसी भी प्रकार के दुख झेलने की क्षमता हो जाएगी| और जब मैं यह सब कहता हूँ- तो मेरा अभिप्राय – जीवन यात्रा से है|

जो कुछ भी आप के साथ होता है उस का एक कारण और उद्देश्य है| उद्देश्य यह है, कि आप इस बात को समझें – संभवतः आपके व्यक्तित्व से कुछ गायब हुआ प्रतीत हो सकता है – और यदि आप इस पर सचमुच में काम करें – और विचार करें कि क्या गायब हुआ है, या फिर आप किसी बात पर प्रतिक्रिया करें, आप जानतें हैं कि आप अपनी प्रतिक्रियाओं से प्रसन्न नहीं हैं- आप उसे बदल सकते हैं| आप भावनाओं को बदल सकते हैं|

यह महत्वपूर्ण है क्योंकि आप भावनाओं की दुनिया में रह रहे हैं| यह उस जीवन का हिस्सा हैं जो आपके मानव शरीर में स्थित है| हर एक के अंदर भावनाएं होती हैं| हर जाति में भावनाएं हैं| कुछ देर पहले आप जातियों के विषय में बातें कर रहे थे और वह मानव जाति के बारे में था- परंतु यदि आप यह सोचें कि मूल निवासी क्या सोचते थे जातियों के बारे में – वे एक जाति को सामान आकार में देखते थे, जैसे (हम यूं कह सकते हैं) किसी किस्म का जानवर| या फिर एक कीड़ा या रेंगनेवाला जन्तु, जो भी उनके मन में एक जैसा देखने में लगे, वह, उनके हिसाब से जाति है| उसी प्रकार से फूलों, पेड़ों – पत्थर और पृथ्वी के साथ है – यह सब रूप उस ऊर्जा का हिस्सा है जो एक साथ एकत्रित होती है और जिससे आप भी बनें हैं| तो यह सारी ऊरजाएँ आप के अंदर भी स्थित हैं| और मानव होने के नाते आप एक जाति हैं|

आप सांस लेने के बारे में बातें कर रहे थे – इस गृह पर इन्सानों को जीवित रखने हेतु यहाँ की हवा को उसके अनुकूल बनाया गया है | यह कोई संयोग नहीं है – विशेष योजनाओं के साथ इस इस गृह का निर्माण किया गया था| इस गृह को सँजोया है … उन उच्चतर क्षेत्रों में रहने वालों ने, जिनके पास सृजन करने की क्षमता है|

लेकिन उन्होने हमेशा वही पदार्थों का इस्तेमाल किया जो इस गृह में उपलब्द थे| उन्होने भी इसलिए यह इस्तेमाल किए क्योंकि वह पदार्थ किसी और जगह पहले से ही मौजूद थे| तो इन वस्तुओं को किसी ने नहीं बनाया – वे सब के सृजन के स्रोत से आते हैं| वे परमात्मा से आते हैं|

तो जो व्यक्ति वैज्ञानिक परीक्षण कर रहे हैं जैसे कि अनुवंशिक अभियांत्रिकी – उन्हे स्रोत के बारे में विचार करना चाहिए| और फिर उसी स्रोत के साथ मिल कर कार्य करना चाहिए – उनकी अनुमति के साथ – जिससे नए डीएनए पर कार्य हो सके, उसमे बदलाव – सुधार करना – या बदलना, जो भी वैज्ञानिक करना चाहते हैं या चेष्टा करना चाहते हैं|

यदि वे स्रोत के साथ उसी आदर से कार्य करें – यह जानते हुए कि उन्होने कुछ नहीं बनाया अपितु सब के स्रोत से ही सब कुछ आता है – तो उन्हें काम करने के लिए सही प्रेरण मिलेगा| ताकि इस पृथ्वी पर इन्सानों और दूसरे जीवों का स्वस्थ्य ठीक हो सके| यह संभव है, विकृति दूर की जा सकती हैं और मानव के ही हाड़मास से उसे बदला जा सकता है या जो कुछ भी बदलना हो एक प्रसन्नचित, निरोगी काया बनाने के लिए| यह सारी चीज़ें हो सकती हैं| रोग बिलकुल लुप्त हो जाएगा| और मेरा पक्का मानना है यह हर एक को अच्छा लगेगा| यह सब संभव है| यह सब संभव है|

इस की जानकारी अन्य जगाहों से आएगी – उस तकनीक से जो दूसरी दुनियाओं में विद्यमान है – और इसे तत्परता से मानव जाति को सौंप दिया जाएगा, यदि वे इस बात का विश्वास दिलाएँ कि इसका दुरुपयोग नहीं किया जाएगा| या उस पर अपना अधिकार न दिखाएँ – क्योंकि यह उनका बिलकुल नहीं है है| वह सब के सृजन के स्रोत से आता है जिन्होने पूरे ब्रह्मांड की रचना की है|

तो मैं यहाँ पर उपदेश देने नहीं आया हूँ, लेकिन मैं चाहता हूँ कि आप इन विषयों के बारे में सोचें, यदि संभव हो – तो दूसरों को इस के बारे में बताएं| विशेषतः वैज्ञानिकों को, क्योंकि वे उन लोगों की सोच बदलने की क्षमता रखते हैं, जो वैज्ञानिक परीक्षण कर रहे हैं| कुछ हद तक यह हमारी चिंता का विषय है| क्योंकि वैज्ञानिक परीक्षण पहले से ही हो रहे हैं – जैसा कि मैंने कहा है यह असुरक्षित है जब तक यह सब के सृजन के स्रोत से अनुमति नहीं ले लेते हैं|

तो मैं उम्मीद करता हूँ कि मैं इस संदेशे को उनसभी लोगों तक पहुँचाने में कामयाब रहा – जो यहाँ हैं और जो इस संचरण को इंटरनेट के माध्यम से पढ़ चुके हैं|

धन्यवाद मेरे बच्चों, आज मुझे सुनने के लिए धन्यवाद| मैं आप सभी से अत्यधिक प्रेम करता हूँ|

हम सब आप से प्रेम करते हैं| हम सारे इस भ्रमाण्ड से, और भी बहुत बहुत सारे लोग यहाँ हैं जो आज की विशिष्ट गोष्टी को सुन रहे हैं| तो आप सब का धन्यवाद|

मैं परमात्मा आपको आशीर्वाद देता हूँ|❞


आप लौकिक साई बाबा का संचरण यहाँ सुन सकते हैं: